Monika garg

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लेखनी कहानी -13-May-2022#नान स्टाप चैलेंज# अपनी अपनी मजबूरी

रति आज टूट चुकी थी ।बदन का कोर कोर दर्द कर रहा था।कल रात की बात याद कर कर के सिहर उठती थी वो।
मांग मे सिंदूर ,माथे पर बिंदी पर हर दिन नये पति की पत्नी।ये फरमान सुनाया था उसके पति ने उसे कल रात ।
तभी रति को अपना बचपन याद आने लगा।एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी वो भी इतनी सुन्दर।दुधिया गुलाबी रंग ,तीखे नाक नक्श। कोई भी जवान मर्द पागल हुए बिना नही रह सकता। उम्र के सोलहवें बसंत मे चल रही थी ।पिता दमे का मरीज उपर से दिहाड़ी मजदूर कभी काम मिलता कभी नही ।फिर कड़वे नीम सी बढ़ती लड़की। जल्द ही हाथ पीले नही किये तो कोई उठा ना ले जाये 
रति का बापू दीनू आसपास के गांव मे मारा मारा फिरता कि कोई रिश्ता मिल जाए बेटी के लिए । लेकिन हर जगह दहेज रूपी दवानल अपनी लपटें धधकाए खड़ा था। आखिरकार एक दिन दीनू खुशी खुशी घर लौटा ।वह अपनी बेटी का रिश्ता तय कर आया था ।दस कोस दूर दूसरे गांव मे । लड़का एक मिल मे लगा था पांच हजार रुपए लेता था । लड़का अकेला ही था । मां बाप बचपन मे ही गुजर गये थे ।दहेज की कोई मा़ग नही थी ।
दीनू को और क्या चाहिए था ।जीवन की सबसे बड़ी चिंता यू चुटकियों में हल हो रही थी।दीनू ने रति का विवाह रमेश के साथ मंदिर मे ही कुछ अपने पास पड़ोस के बुलाकर करवा दिया और गंगा नहाया गया।
रति लाज की गठरी बनी सिमटी सिकुड़ी सी ससुराल आ गयी। ससुराल के नाम पर क्या था दो कमरों का पक्का घर ।एक पलंग ,कुछ सामान ईर गृहस्थी का बस...
पहली रात का किसे इंतजार नही होता ।रति भी लाज की गठरी बनी पलंग पर बैठी रमेश के आने का इंतजार कर रही थी।एक पहर बीता दो पहर बीते तीसरे पहर जब उसने पलंग के पास रखा दूध का गिलास पिया तो उसे नींद ने अपनी आगोश मे ले लिया।तभी कमरे का दरवाजा खुला और एक शख्स अंदर आया।रति एकदम से उठकर बैठ गयी और घूंघट ओढ़ लिया।उसका सिर बहुत भारी हो रहा था हल्की हल्की बेहोशी भी छा रही थी ।तभी वै शख्स उसके पलंग पर बैठ गया और उसका जैसे ही घूंघट उठाया वह हैरान रह गयी ।"कौन हो तुम?"
रति ने लगभग चीखते हुए कहा।
"तुम्हारे पति को करारे नोट थमा कर आया हूं ।आज की रात मै तुम्हारा पति हूं।"
वह आदमी रति के साथ जोर जबरदस्ती करते हुए बोला।
रति उस आदमी की चुंगल से सारी रात अपने आप को छुड़ाने का प्रयत्न करती रही पर छुड़ा नही पायी।
आधी पिछली रात मे जब वो आदमी चला गया तो रति बातें याद करके रोने लगी कि आखिर ऐसी क्या बात हुई जो उसके पति रमेश ने उसका सौदा किया। बहुत से सवाल थे उसके मन मे जो उसके ह्रदय को कचोट रहे थे।
वह जैसे तैसे उठकर दूसरे कमरे में गयी तो देखा रमेश पलंग पर पड़ा खरांटे ले रहा था।मन मे तो आया कि उसको उठा कर उसके मुंह पर थूक कर मायके चली जाऊं ।पर वह अपनी अस्मत दूसरे इंसान द्वारा लुटने का कारण जानना चाहती थी।उसने झिंझोड़कर रमेश को जगाया और उसके सीने पर मुक्के बरसाते हुए बोली ,"तुम बताओ तुमने मेरी इज्जत का सौदा क्यों किया?"
रमेश पहले तो रति को रोते हुए देखता रहा फिर एकदम से बोला,"सुहागरात को तन की आग शांत करने के लिए पति चाहिए ना तो वही तो दिया तुम्हें।ऐसा है मै पति का फर्ज पूरा नही कर सकता।"
रति भी एकदम से चंडी बन गयी और बोली,"पहले मुंह माथा क्यों नही फूंका कि तुम ना मर्द हो ।फिर बापू तो आये ही थे तुम्हें देखने जब क्यों नहीं बताया कि तुम शादी के काबिल नहीं हो।"
रति शेरनी की तरह दहाड़ रही थी।
रमेश ने जब उसका विकराल रूप देखा तो वह अंदर से सिहर उठा। वह मन ही मन सोच रहा था कि अगर इसे सच्चाई पता चल गयी तो ये कही की भी ना रहेगी।वह उठा और खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया ओर बोला,"बचपन से ही गांव मे मुझे जनाना,हिंजडा कह कर बुलाते थे । मां बाप ने इसी गम मे खुदकुशी कर ली।तब एक एनजीओ वालों ने मेरी देख रेख की मेरी दसवीं तक शिक्षा दिलवाई। वहां भी मै कयी बार शारीरिक शोषण का शिकार हुआ।मै वहां से भाग कर इस गांव में आ गया और मेरी नोकरी लग गयी।अपने आप को लोगों के तानों से बचाने के लिए मुझे यही रास्ता ठीक लगा था कि अगर मै शादी कर लूं तो कोई मुझे जनाना नही कहेगा।मै कसम खाता हूं तुम मांग मे सिंदूर ओर माथे पर बिंदी लगाकर सदा मेरी ब्याहता रहोगी पर मै तुम्हे पति सुख नही दे पाऊंगा। इस सुख के लिए तुम्हें हररोज गैर मर्द के साथ सुहागरात मनानी होंगी।"
रति का गुस्सा सातवें आसमान पर था।वह चीखते हुए बोली,"तुम्हें किसने ये हक दिया कि तुम एक शीलवान लड़की को वेशया बना दो और जब मेरे बापू आये थे तब भी तुम उन्हें ये बता देते तो वो अपनी लड़की को कभी इस नर्क मे ना धकेलते।"
रमेश मनमे सोचने लगा कि अब ओर कोई चारा नही है अब सच्चाई बतानी ही पड़े गी।वह हिचकते हुए बोला,*ये बात तुम्हारे बापू को पता थी कि मै शारीरिक तोर पर असमर्थ हूं ।पर वो हार चुके थे तुम्हारे लिए रिश्ता देखते देखते।मैने कोई बात नहीं छुपाई थी तुम्हारे बापू से ।और हां मैंने ये भी बता दिया था कि मै इसका सौदा किया करूंगा ।तब तुम्हारे बापू ने पता है क्या कहा?"
रति आंखों मे पानी भरकर बोली,"कया"
*यही कि आधा हिस्सा मुझे उनको देना होगा।"रमेश ने पूरा जोर लगा कर अंतिम वाक्य बोला।
रति तो जैसे अर्श से फर्श पर आ गिरी।उसका खुद का बाप और पति ही उसके अस्मत के दलाल बन चुके थे।वह चुपचाप अपने कमरे मे चली गयी।
सुबह हो चुकी थी ।रति अपने कमरे से बाहर आयी । यंत्रवत घर का काम निपटाया और एक बार फिर से नये पति की दुल्हन बनने चल पड़ी ताकि पति और पिता के पेट की क्षुधा शांत हो सके।

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2 Comments

Khan

29-Nov-2022 08:20 PM

Nice 👍💐

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Sachin dev

29-Nov-2022 04:19 PM

Bahutt sunder

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